भाषण के साथ राशन भी है जरूरी


संपादकीय


भाषण के साथ राशन भी है जरूरी


कल हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी ने ठीक 8 बजे देश को संबोधित किया और 14 अप्रैल तक पुरे देश में लॉकडाऊन की घोषणा की,कोरोना जैसी बीमारी रोकने के तरफ उठाये गये इस कदम की सराहना हो,पर इसके साथ साथ प्रधानमंत्रीजीने अपने भाषण में कई मुद्दों का जिक्र करना अपेक्षित था जो उन्होंने किया नही।इस देश के नागरिक के नाते मुझे ऐसा लगता है की, प्रधानमंत्री जी ने लॉकडाउन की घो षणा के पहेले हमारे गरीब मजदुर और किसान भाईंयो के बारे में सोचना था।अगर देखे तो नोटबंदी के समय से और उसके बाद भी अपनाये गये अनेक आर्थिक सुधार के चलते हमारे इकॉनॉमिक सिस्टम का बहोत बुरा हाल रहा है।उस समय से लेकर आज तक बहोत बढी तादात में लोगोंनेअपनी नोकरियां गवांई है। बेरोजगारी ने अपना मकाम कायम कर लिया है। इन सबसे हमारी अर्थव्यवस्था उभर रही थी तो कोरोना आ टपका,इससे बीते 15 दिनों से देश में जो कर्फ्यू और क्वारंटाईन का जो सिलसिला चल रहा है उसके तो बहोत बुरे परिणाम सामने आनेवाले है। खैर इसकी बहेस बाद में भी करी जा सकती है।पर फिलहाल तो जिनकी रोटी रोजमर्रा की मेहनत पर ही कायम है।उन लोगों का क्या ? उनके लिये इन 21 -22 दिनों के लॉकडाउन के दौर में क्या व्यवस्था की गई है ? इसका जवाब ना में आता है। रिक्षावाला, मजदुर, खाना पीना पहुंचानेवाले, छोटे - मोटे पक्वान, सेवाईयाँ, फल-फ्रुट, आदीका ठेला लगानेवाले, रास्ते पे चप्पल सीने वाले मोची, ठंडे पाणी का मटका बेचनेवाले, हथियारों की धार तेज करनेवालें, कचरा बेचकर 100-200 हाथ में पानेवाले,सोचो इन सब लोगों का क्या हाल है?? इनका चुल्हा कैसे जलता होगा ? इसके लिये केंद्र सरकार ठोस कदम उठाये ऐसी हमारी मनषा है। इनके लिये किस तरह से पॉलिसिज तय हो ये मैं नही बताउंगा वो एक्सपर्टस बतायेंगे ही पर हमारे वजीर- ए- आलम इसके बारे में सोचे तब ना।जाते जाते आपको ये भी बताते जाउं की,कोरोना के इस खौंफभरे माहोल में हमे जीवनदान देनेवाले डॉक्टर्स को,काम के वक्त लगनेवाले सेफ्टी किट्स देने मेंभी केंद्र सरकार नाकाम है।उदाहरण के तौरपर उ.प्र.का आंबेडकर अस्पताल ले लो।वहां के डॉक्टरों को बिना किसी सुरक्षा के काम करना पड रहा है। दिल्ली के AIMS के डॉक्टरोंने तो जब तक सुरक्षा के कडे प्रावधान नही किये जाते काम ना करने का ठाण लिया है।
मुंबई विभाग के डॉ श्वेता ने ट्वीट करके जाहीर किया है श्वेता कहेती है,"गर ढाल नही होगी तो सैनिक कैसे लडेंगे? PPE किट हमारी ढाल है। वो नही तो नही कमसे कम N95 मास्क और पर्याप्त मात्रा में सैनिटायजर तो सरकार उपलब्ध कराये " पर खैर मोदीजी के कानों तक ये नही जा रहा।अब कितने भी खतरे कि घडी पर मोदी सरकार जिन्हें।100 प्रतिशत सही लगती है।उनसे मुझे कोई बहेस नही करनी। पर लोकतांत्रिक देश में सरकार से सवाल करना हमारा आधिकार है।ऐसा माननेवालेसे मेरा अनुरोध है। आप भी इसी दिशा में थोडा सोचें।...


         ©️खय्युम शेख
लेखक महाराष्ट्र जीवन लाईव्ह समुह में संपादक के पदपर कार्यरत है